हम आवासीय क्वार्टर में रहते थे, जहाँ हमारा जीवन और कीड़ों का जीवन मानो बंधा हुआ था। एक कमरा दूसरे से जुड़ा हुआ था। घर के दरवाज़े कभी बंद नहीं होते थे। इसलिए, चींटियों, रोयेंदार इल्लियों (कैटरपिलर्स) और घोंघे जैसे अलग-अलग कीड़ों का घर में आना जाना लगा रहता था। हमारा जीवन इन कीड़ों के जीवन से जुड़ा हुआ था। मेरी माँ, मेरी बहन और मैं कीड़ों से बहुत डरते थे, ख़ासकर रोयेंदार इल्लियों से। मेरे पिता उन्हें मारते नहीं थे। वे बड़े चालाक थे और उन्हें बेवकूफ़ बनाने में कुशल थे। वे हॉल के फ़र्श पर कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़े बिछा देते थे, और ये बेवकूफ़ इल्लियां उन पर चढ़ जाते थे। जब मेरे पिता उन्हें घर से बाहर फेंक आते थे, तब जाकर हमें राहत महसूस होती थी। वे अपने परिवार से अलग हो जाते थे। इन रोयेंदार इल्लियों की दो अलग-अलग दुनिया थी। मेरी कल्पना की दुनिया में वे कोई भी आकार ले सकते थे। कभी-कभी, वे हट्टेकट्टे ऑर्क[1] में बदल जाते थे, जिनका विकृत शरीर रूखे बालों से भरा हुआ होता था। मेरी कल्पना की दुनिया में, मेरे पिता गैंडाल्फ़[2] थे और हम हॉबिट[3] थे।
मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरे पिता ने मुझे हस्तमैथुन करते हुए देखा लिया था। उनका इरादा यह जानने का नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ। वे उस कमरे में आ गए जहाँ मैं पढ़ रहा था । जब मैं उनकी तरफ़ मुड़ा, तो उन्होंने ऐसा दिखाया कि जैसे उन्होंने कुछ अलग नोटिस नहीं किया। मैं उस बात पर नाराज़ नहीं था कि उन्होंने बिना इजाज़त के मेरी निजी जगह में प्रवेश किया, क्योंकि मैंने कभी किसी जगह के बारे में ऐसा सोचा ही नहीं था। किशोरावस्था से जुड़ी हुई कुछ अमरीकी फिल्में देखने के बाद ही मैंने सीखा की निजी जगह क्या होती है।
स्कूल में मेरे कुछ सहपाठी अपने पिताओं के बारे में शेखी बघारते थे। उनके पास अपने पिताओं के बारे में कहने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता था, कि उनके पिता उनके लिए वो सब चीज़ें लाकर देते थे जिनके पीछे वो पागल होते थे। मैं हमेशा दूसरों की बातें सुनने में अच्छा था। ज़्यादातर समय मुझे श्रोता की भूमिका निभानी पड़ती थी। उनके पिताओं से अलग, मेरे पिता न तो महंगी गाड़ियाँ ख़रीद सकते थे और न ही मुझे बढ़िया रेस्टोरेंट में ले जा सकते थे। मेरा एक दोस्त अंग्रेजी साहित्य के बारे में पूरी जानकारी रखता था। उसके पिता हमेशा सिगरेट पीते रहते थे। मेरी माँ कहती थी कि सिगरेट पीना बुरी आदत है। फिर भी, जब मैंने उनसे पूछा कि मेरे पिता के मामा, जो एक डॉक्टर थे, हमेशा सिगरेट क्यों पीते रहते थे, तो उन्होंने मुझे कोई जवाब नहीं दिया। सिगरेट पीना अमीर लोगों का शौक है। कुछ चीज़ें जो विशेषाधिकार रखने वाले लोग करते हैं, उन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। मैं चाहता था कि मेरे पिता भी सिगरेट पिएँ। मैं चाहता था कि मेरे पिता मेरे पसंदीदा काल्पनिक पात्र, शर्लक होम्स की तरह हों। अगर वे अति-पुरुषत्व (हाइपरमस्क्युलिनिटी) दिखाते, तो मेरे लिए वे सबसे रोमांचक पिता होते। मुझे भी अपने दोस्तों की सीक्रेट पार्टियों में बुलाया जाता और उन्हें लगता की मैं भी दिलचस्प हूँ। मेरे पिता मुझे कुछ ऐसे बेशर्म लड़कों से नहीं बचा पाए जिन्होंने स्कूल में मेरा जीना दुश्वार कर दिया था। मुझे लगता है बैटमैन, स्पाइडरमैन, सुपरमैन और इस तरह की बातें झूठ हैं। तीन साल पहले, मुझे एक व्हाट्सएप ग्रुप से निकाल दिया गया था। मैंने एक सहपाठी की मर्दानगी को चुनौती दी थी। मैंने उससे कहा था कि हस्तमैथुन करने से उसकी मर्दानगी साबित नहीं होती। उस बंदे को महिला हस्तमैथुन के बारे में पता तक नहीं था।
मेरे पिता और मैं कई मायनों में एक दूसरे से अलग थे – मेंने जो वैकल्पिक मर्दानगी दिखाई शायद उसने उन्हें अंदर से बुरी तरह तोड़ दिया। उन्हें मेरा अनिर्णायक व्यवहार पसंद नहीं था। इंजीनियरिंग की एंट्रैन्स परीक्षा में बैठने के बजाय, मैं घर पर ही रहा। जब उन्हें पता चला कि मैं साहित्य पढ़ रहा था तो वो मुझ पर बहुत गुस्सा हुए। जब उन्होंने गुस्से से आईने पर मुक्का मारा तो आईना दर्द से चिल्ला उठा। मेरे पिता, जो कम बोलने वाले इंसान थे, बहुत सारे सपने संजोए हुए थे। मैं परीक्षा में बैठ सकता था। यह कोई बड़ी बात नहीं होती।
किसी भी शब्द का अर्थ समझने के लिए हमें उसके विपरीत शब्द को ध्यान में रखना चाहिए। दुनिया पहले पेट्रोल या डीज़ल के बिना चलती थी, लेकिन यह बाइनरी के बिना नहीं चल सकती – पुल्लिंग / स्त्रीलिंग, लड़का / लड़की, दिन / रात, आदि। मैं शब्दकोश पर बहुत अधिक निर्भर था। मैं अपने इंग्लिश टीचर को प्रभावित करना चाहता था। मैं अपने पिता को नापसंद करता था क्योंकि वे हाइपरमस्क्युलिनिटी के दायरे में फिट नहीं बैठते थे। मैं अपने पिता से अलग हो गया। मुझे नहीं पता कि किसे दोषी ठहराया जाना चाहिए – मुझे या मेरे आस-पास की दुनिया को जिसने मुझे बाइनरी में विश्वास दिलाया। “एक आदर्श मर्दाना पिता” की परिभाषा क्या है?
अब हम एक गाँव में रहते हैं। शुरू में तो सब ठीक चल रहा था। धीरे-धीरे मुझे अहसास हुआ कि गाँव में जेंडर भेदभाव, गपशप, चुगली और औरत जाति से नफ़रत करने वाले, लिंगभेदी (सेक्सिस्ट) पुरुषों की भरमार थी। पुरुषों को महिलाओं की राय की शायद ही कोई परवाह होती है। मेरी अशिक्षित माँ को दोहरे तौर पर हाशिए पर रखा जाता है – एक तो महिला होने के कारण और दूसरा शैक्षणिक योग्यता की कमी के कारण। मुझे अपने पिता पर गर्व है। वे स्त्री-द्वेषी या औरत जाति से नफ़रत करने वाले पुरुषों के साथ मेलजोल नहीं रखते। मेरी माँ के खिलाफ़ भड़कने का उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। वो अपने आप को व्यस्त रखते हैं। वीकेंड पर, वे अपना समय बाग़वानी करने में बिताते हैं।
मेरे जीवन में एक ऐसा कोई है जिसका बचपन बहुत बुरा बीता, जिसके कई संबंध रहे और जिसके पिता ने दो बार शादी की। वो कहता है कि उसे अपने पिता से नफ़रत थी। अगर उसके पिता ज़िंदा होते तो वे अपने बेटे के संबंधों के बारे में क्या कहते? अगर मैं किसी साइबॉर्ग[4] या समान जेंडर वाले इंसान से प्यार करता हूँ, तो मेरे पिता क्या कहेंगे? क्या वे स्वीकार करेंगे कि मर्दानगी के कई अलग-अलग रूप हैं? वर्तमान में मैं पीएचडी कर रहा हूँ। मैं तीस साल का होने वाला हूँ। मेरे दोस्तों के पास नौकरी है और उनके पास प्रेमी / साथी हैं जिनके साथ वीकेंड पर वे अंतरंग समय बिता सकते हैं। मैंने हाल ही में दो इंटरव्यू दिए हैं। मैं बुरी तरह विफल रहा हूँ क्योंकि मेरा बायोडेटा अकादमिक लेखों के बजाय रचनात्मक लेखन से भरा है। अकादमिक दुनिया रचनात्मक लेखकों के लिए एक ख़तरनाक जगह है – आपको दूसरों ने जो लिखा है उसे पढ़ना होता है और जितने हो सकें उतने रिसर्च पेपर तैयार करने होते हैं। क्या साहित्य में कैरियर बनाने का मेरा फ़ैसला ग़लत था? अट्ठाईस साल की उम्र में, मैं बेरोज़गार हूँ। अट्ठाईस साल की उम्र में, मेरे पिता के पास नौकरी थी, पत्नी थी और मैं था। अगर मैं कोई कहानी लिखूं तो क्या मेरे पिता भी मुझे बाहर निकाल देंगे, जैसे कि उन लोगों ने किया जिन्होंने मेरा इंटरव्यू लिया और सोचा कि मैं पढ़ाने के योग्य नहीं हूँ? काश मेरे पास भी कैटरपिलर के कोकून जैसा कोई सुरक्षा कवच होता। अगर मैंने रोयेंदार इल्लियों से दोस्ती कर ली होती, तो मुझे भी सिखाया गया होता कि मैं अपने लिए कोकून कैसे बनाऊं।
सुनीता भदौरिया और शर्मिला भूषण (ए एस इंटरनेशनल) द्वारा अनुवादित। सुनीता भदौरिया एक हिंदी अनुवादक और दुभाषिया (इंटरप्रिटर) हैं, जिन्हें एन.जी.ओ क्षेत्र में काम करने का 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। शर्मिला भूषण एक स्पेनिश और हिंदी दुभाषिया (इंटरप्रिटर) और अनुवादक हैं, जिन्होंने पिछले 30 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक काम किया है। उन्होंने पेंगुइन एस.ई.ए. के लिए दो उपन्यासों का स्पेनिश से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। ए एस इंटरनेशनल 2020 से कई भाषाओं में इंटरप्रिटेशन और अनुवाद की सेवाएँ प्रदान कर रहा है, खासकर विकास क्षेत्र के लिए।
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[1] काल्पनिक साहित्य व खेलों में, मानव जैसे प्राणियों की एक काल्पनिक जाति का सदस्य, जिसे कुरूप, युद्धप्रिय व द्वेषी माना जाता है।
[2] गैंडाल्फ़ जे.आर.आर. टोल्किन की द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स और द हॉबिट में एक जादूगर का नाम है। वह ज्ञान और सुविधा का स्रोत है।
[3] भूमिगत रहने वाले छोटे मानव जैसे प्राणियों की एक काल्पनिक शांतिपूर्ण और मिलनसार जाति के सदस्य।
[4] एक काल्पनिक या बनावटी व्यक्ति जिसके शरीर में ऐसे यांत्रिक भाग होते हैं जो उसके लिए ऐसी चीजें करना संभव बनाते हैं जो मनुष्य आम तौर पर कर सकते।