यौनिक अधिकार यौनिक अधिकार मानव अधिकारों के मूलभूत तत्व हैं। इनमें आनंदमय यौनिकता को अनुभव करने का अधिकार शामिल है, जो अपने आप में आवश्यक है और इसके साथ ही यह लोगों के बीच संवाद और प्रेम का मूल माध्यम है। यौनिक अधिकार, यौनिकता के ज़िम्मेदार प्रयोग में स्वाधीनता और स्वायत्ता के अधिकार को सम्मिलित करते हैं। – हेरा (Hera) स्टेटमेंट
क्योंकि यौनिकता मानव होने का एक बुनियादी हिस्सा है, यौनिक अधिकारों की धारणा मानव अधिकारों के व्यापक ढाँचे का अंश है। मानव अधिकार सभी लोगों के जीवन के सभी पहलुओं में महत्व, सम्मान, समानता तथा स्वायत्ता को स्वीकार करते हैं। सभी लोगों को, चाहे वे महिला, पुरुष या अन्य किसी जेन्डर के हों, अपनी यौनिकता को अभिव्यक्त करने तथा आनंद उठाने के लिए और यौन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी, शिक्षा और सेवाओं की पहुंच के द्वारा संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए यौनिक अधिकार आवश्यक हैं। इसलिए,
- यौनिक अधिकार विशेष सुविधा और उपकार नहीं हैं, बल्कि ये सभी व्यक्तियों का अधिकार हैं।
- यौनिक अधिकार व्यक्ति व समूह दोनों की सुरक्षा करते हैं।
- मानव अधिकारों की तरह यौनिक अधिकारों की धारणा गैर-भेदभाव को सुनिश्चित करने के लिए एक ढाँचा उपलब्ध कराती है। इसलिए इसका उपयोग किसी एक व्यक्ति या समूह को दूसरे की तुलना में अधिक महत्व देने के लिए नहीं किया जा सकता है।
- यौन अधिकार दुसरे अधिकारों की तरह मान्य हैं, जैसे कि भोजन, स्वास्थ्य और आवास का अधिकार।
- यौनिक अधिकार – शारीरिक निष्ठा जैसे अधिकार, साथ ही ऐसे अधिकार जो उल्लंघनों के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करते हैं, जैसे कि यौनिक क्रिया में ज़बरदस्ती न करने देना।
- यौनिक अधिकार कुछ नैतिक सिद्धान्तों पर आधारित हैं (कोरिया एवं पचस्की)। यह सिद्धान्त इस प्रकार हैं:
- शारीरिक निष्ठा (बॉडिली इंटेग्रिटी) – अपने शरीर पर नियंत्रण और सुरक्षा का अधिकार। इसका अर्थ है कि सभी व्यक्तियों को न केवल अपने शरीर को हानि से बचाने का बल्कि अपने शरीर का पूरा संभावित आनंद उठाने का अधिकार है।
- स्वाधिकार (परसनहुड) – स्वाधीनता का अधिकार। इसका मतलब है कि सभी व्यक्तियों को अपने लिए निर्णय लेने का अधिकार है।
- समानता (इक्वालिटी) – सभी व्यक्ति समान हैं और उन्हें आयु, जाति, वर्ग, प्रजाति, जेंडर, शारीरिक योग्यता, धार्मिक या अन्य विश्वासों, यौनिक पहचान तथा अन्य ऐसे कारणों पर आधारित भेदभावों के बिना मान्यता दी जानी चाहिए।
- विविधता (डायवर्सिटी) – भिन्नता के लिए आदर। लोगों की यौनिकता और उनके जीवन के अन्य पहलुओं में विविधता भेदभाव का आधार नहीं होनी चाहिए। विविधता के सिद्धांत का दुरुपयोग पिछले तीनों नैतिक सिद्धांतों के उल्लंघन के लिए नहीं होना चाहिए
यौनिक अधिकारों में शामिल हैं:
- किसी संक्रमण, बीमारी, अनचाहे गर्भ और नुकसान के डर के बिना यौनिक आनंद का अधिकार।
- यौनिक अभिव्यक्ति का अधिकार और अपने निजी, नैतिक और सामाजिक मूल्यों के अनुरूप यौनिक निर्णय लेने का अधिकार।
- यौनिक तथा प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी देख रेख, जानकारी, शिक्षा और सेवाओं का अधिकार।
- शारीरिक निष्ठा का अधिकार और यह चुनने का अधिकार कि यदि चाहें तो कब, कैसे और किसके साथ पूर्ण सहमति के द्वारा यौनिक रूप से सक्रीय हों और यौनिक संबंध बनाएँ।
- पूर्ण तथा स्वतंत्र सहमति और बिना किसी ज़ोर ज़बरदस्ती के संबंध (जिनमें शादी शामिल है) बनाने का अधिकार।
- यौनिक और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं में एकांतता और गोपनियता का अधिकार।
- बिना किसी भेदभाव के और प्रजनन से अलग अपनी यौनिकता को व्यक्त करने का अधिकार।
कॉमन ग्राउंड प्रिंसॅपल्स फॉर वर्किंग ऑन सेक्शुएलिटी 2001 से रूपान्तरित
(Adapted from Common Ground: Principles for Working on Sexuality, 2001)Cover Image: Ankit Gupta