Shraddha Mahilkar
मेरी कल्पनाओं ने किया आज़ाद मुझे
मेरी कल्पना में… मैं उड़ती नहीं …
मगर तोड़ी हैं बेड़ियाँ उन कल्पनाओं के पीछे…
देखें हैं सपने जिन्हें बुना था मैंने अपनी कल्पनाओं में,
क्यूंकि नींद तो खेल रही थी दूर कहीं मेरे बचपन के साथ
और उठाए थे कदम मेरी सच्चाई पर पड़े हिजाब उतारने के लिए…
By Shraddha Mahilkar
November 3, 2016