Sumati Panikkar
‘हामी भरने’ या ‘मना करने’ का मेरा अधिकार
मनुष्यों के बीच के किसी भी तरह के आपसी सम्बन्धों में सहमति का होना, इन सम्बन्धों की मज़बूत नींव की तरह होना चाहिए। हमारे समाज में हम इस ‘सहमति’ देने या ‘ना’ कह पाने के अधिकार पर प्रतिक्रिया के रूप में नयी तरह की हिंसा को देख पा रहे हैं। अधिकारों को प्रयोग करने की इस प्रक्रिया को केवल किसी व्यक्ति द्वारा अपने अधिकारों के प्रयोग के रूप में न देखकर इसे सभी के लिए सामूहिक रूप से किए जा रहे अधिकारों के प्रयोग के रूप में देखा और समझा जाना चाहिए।
By Sumati Panikkar
March 5, 2019
Issue in Focus: My right to say ‘yes’ and my right to say ‘no’
Women in our societies largely do not have any acquaintance with the word ‘consent’, but they are very familiar with…
By Sumati Panikkar
February 1, 2014