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किसी शास्त्रीय नृत्य को देखने वाले एक आम दर्शक के रूप में मुझे लगा कि यह सब किस तरह से मुझसे और मेरे जीवन से सम्बद्ध है। इन नृत्य प्रदर्शनों में दिखाए जाने वाले कथानक अक्सर वे कहानियाँ होती है जिन्हें मैंने बचपन से सुना है फिर भी मुझे इसमें कोई विशेष रूचि नहीं लगती। लेकिन सुश्री रत्नम के दृष्टिकोण के आधार पर, पुराने कथानकों को आधुनिक रूप देने के उनके प्रयासों और किसी पुरानी परंपरा के लुप्त हो जाने पर दुःख प्रकट करने के स्थान पर नृत्य को एक नया रूप देने का के प्रयास को देखते हुए भरतनाट्यम और अन्य शास्त्रीय नृत्य अब और अधिक प्रसांगिक हो जाते हैं जिनसे आप आसानी से जुड जाते हैं।
(यह लेख हिजड़ा समुदाय पर शोध करते हुए इस बात को समझने का प्रयास है कि हिजडों की भूमिका पर…
“हम आधुनिक हैं। पढ़े-लिखे हैं, किसी भी मुद्दे पर बात करने में हमें हिचक नहीं होती है ” यह बड़ा ही…
प्रत्येक फैंटसी या कल्पना एक बेहद ही निजी अनुभव होती है, भले ही यह मन में ही रखी जाए या दूसरों को बतायी…
प्रमदा मेनन एक क्विअर नारीवादी एक्टिविस्ट हैं जो हर उस विषय पर विवेचना करती हैं जिसे वे जटिल मानती हैं।…
5 जून, 2016 स्मृति धींगरा वे गर्मियों के दिन थे जब दिल्ली यूनिवर्सिटी का लगभग हर छात्र इंटर्नशिप करने के…
वेरोनिका विडाल व् सुज़न टोलमे द्वारा संपादकीय नोट – इन प्लेनस्पीक के इस अंक में हम ‘समुदाय एवं यौनिकता’ के…
शुरुआत में ही स्वीकार लेता हूँ की मुझे शादियों का बहुत शौक़ है। जब अपनी राजनैतिक सोच और व्यक्तिगत…
फोटोग्राफ़र लॉरा डे रेनल ऐसे संगठनों की कोशिशों को कैमरे में क़ैद कर रही हैं, जो लोगों को पहली बार…
अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती। इस बात से…
किशोरों के जीवन में यौनिकता और रोमांस के अनुभवों में अक्सर उनके और उनके परिवार के लोगों के बीच मोलभाव…
सम्पादकीय नोट : इस लेख का पहला भाग अप्रैल के पहले संस्करण में प्रकाशित हुआ था सेक्स वर्कर के अधिकारों…
रुपसा मल्लिक द्वारा लिखित सोमिंदर कुमार द्वारा अनुवादित पिछले दो दशकों से प्रजनन प्रौद्योगिकी (रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी आरटी)[1] का उपयोग आम…
किसी व्यस्क व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा से पैसों के भुगतान के बदले दी जाने वाली यौन सेवाओं को सेक्स वर्क…
यूँ तो विवाह और उससे जुड़े महिलाओं के ‘स्थान परिवर्तन’ को ‘प्रवसन’ का दर्ज़ा दिया ही नहीं जाता है, इसको एक अपरिहार्य व्यवस्था की तरह देखा जाता है जिसमें पत्नी का स्थान पति के साथ ही है, चाहे वो जहाँ भी जाए। पूर्वी एशियाई देशों में, १९८० के दशक के बाद से एक बड़ी संख्या में महिलाओं के विवाह पश्चात् प्रवसन का चलन देखा गया है जिन्हें ‘फॉरेन ब्राइड’ या विदेशी वधु के नाम से जाना जाता है।