A digital magazine on sexuality, based in the Global South: We are working towards cultivating safe, inclusive, and self-affirming spaces in which all individuals can express themselves without fear, judgement or shame
कम उम्र में विवाह और बाल विवाह एक बेहद विखंडित और असमान समाज का लक्षण है। जब भी यह पूछा गया कि लोग अपने बच्चों की कम उम्र में शादी क्यों करते हैं तो “दहेज़”, “गरीबी” और “यौन हिंसा का डर” आदि कारण सबसे ज़्यादा सुनाई दिए।
गाने अक्सर फिल्मों से अधिक लोकप्रिय होते है और अपने अलग ही मतलब का निर्माण करते हैं। इनका मतलब उनता ही विविध है जितना इनको सुनने वाले लोग। मैं यह बिल्कुल नहीं मानता कि हम जो फिल्म और चित्र देखते है उसका हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है। हिंसक या अन्यथा मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए दोषी वह ही हैं जो यह कार्य करते हैं और वे जो उन्हें बेहतर शिक्षा दे सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। शिक्षा और बातचीत से हम युवाओं को सही समझ और बेहतर निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाते हैं।
आज के महाराष्ट्र में महिलाओं की स्थिति और उन्नीसवीं सदी की महिलाओं की स्थिति में बहुत अंतर है और इस अंतर के लिए, आज के महाराष्ट्र के लिए, और महिलाओं की आज की बेहतर स्थिति के लिए सावित्रीबाई फुले जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का योगदान अतुलनीय है। सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस (३ जनवरी) के अवसर पर उनके योगदान को याद करते हुए लेखक ने उन्नीसवीं सदी के महाराष्ट्र और उसकी महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डाला है।
जो वर्जित है उससे मन ही मन सोचकर ख़ुशी पाने के अलावा, यौन कल्पनाएँ हमें सुरक्षित रूप से खोज करने का और बिना किसी प्रतिबद्धता के, बिना किसी परिणाम की चिंता के, विभिन्न तरीकों से रहने और उनका आनंद लेने का मौका देती हैं। यह कुछ-कुछ ऐसा है जैसे हम बिना खाना बनाने की झंझट के, या बर्तन साफ़ करने या अपच और वज़न बढ़ने की चिंता के भी अपने मन की चीज़ खाने का मज़ा ले सकते है।
इस बात के अनेकों कारण हो सकते हैं कि महिलाएँ बच्चे क्यों नहीं चाहती हैं, ठीक वैसे ही जैसे इस बात के अनेकों कारण है कि वे बच्चे क्यों चाहती हैं। बच्चे होने के कारणों को सामान्य करार दिया जाना जबकि बच्चे ना होने की इच्छा को ‘सामान्य से अलग’ माना जाना, शर्मिंदा किया जाना और संदिग्ध की तरह करार दिया जाना, सभी के लिए नारीत्व का ‘एक ही अर्थ’ बनाने वाले है।