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मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरे पिता ने मुझे हस्तमैथुन करते हुए देखा लिया था।
मेरे जेंडर के बारे में उनकी प्रतिकारिता हमारी बातचीत में हर जगह होती है, लेकिन वह मुझे यह भरोसा देने में भी देर नहीं लगातीं कि मेरी ग़ैर-विषमलैंगिकतावादी यौनिकता ने उन्हें कभी परेशान नहीं किया।
ज जब मैं अपनी माँ और चेची के अनुभवों के बारे में एक इंटरसेक्शनल यानी अंतर्विभागीय नारीवादी नज़रिए से लिख रही हूँ, तो मैं यह सोचती रह जाती हूँ कि उनके शारीरिक और भावनात्मक श्रम का भुगतान कौन करेगा।
काम और यौनिकता? इस तरह से देखें तो यह आपकी पूरी ज़िंदगी है।
Growing up, for me, has been about accepting that the loneliness and sadness woven into the fabric of my being do not go away with entering conventional arrangements like monogamous relationships or marriage.
Tales delicately yet powerfully draws out the conflict between sex workers and feminism in India,at a time when a lot of feminists thought of prostitution through a SWERF lens[1].
In this interview with Shikha Aleya, Maya speaks with a deep knowledge of ground realities about the increasing informalisation of labour and its implications for gender and sexuality, and about what labour rights and inclusion mean in real terms.
The most satisfying spiritual and sexual experiences I’ve had were not in my twenties, thirties or even forties. They have been in my 50’s. The most insightful spiritual insights, and the most orgasmic orgasms have both arrived in middle age.
पूरे देश में ऐसे कई क्वीयर लोग होंगे जो अपनी ‘मातृभाषा’ में अपनी क्वीयर पहचान को एक नाम देने में नाकामयाब रहे हैं।
हम धीरे-धीरे अपनी शर्म, असहजता, और ‘हेटेरोनॉर्मेटिव’ मानसिकता से ऊपर उठने लगे ऐसी कई सारी कृतियों का विश्लेषण करते हुए, जो न तो वात्स्यायन का ‘कामसूत्र’ थे और न ही यौनिकता पर फ़ूको की समीक्षा।
ऑनलाइन डेटिंग पहली मुलाक़ात में किसी को अपने घर बुला लेने जैसा लग सकता है, लेकिन फ़र्क़ ये है कि हम फ़ैसला कर सकते हैं कि हम उन्हें अपने घर और अपनी निजी ज़िंदगी के कौन-से हिस्सों में जगह देने के लिए तैयार हैं।
मां बनने के बाद से आत्म-देखभाल पर मेरे नज़रिये में बहुत बदलाव आया है। एक अभिभावक की भूमिका निभाते हुए और उसकी चुनौतियों का सामना करते हुए अपना ख़्याल कैसे रखा जा सकता है?
हमारा मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ़ हमारी इकलौती ज़िम्मेदारी नहीं है बल्कि उन संस्थाओं और व्यवस्थाओं की भी ज़िम्मेदारी है जिनका हम हिस्सा हैं। इसलिए हमारी सेहत और ख़ुशहाली बनाए रखने के लिए इनका योगदान ज़रूरी है।
उर्दू शायरी की एक पूरी शैली है, ‘रेख़्ती’, जो औरतों के नज़रिये से लिखी गई है और जिसमें औरतों की ज़िंदगी और भावनाओं की बात होती है। ये ‘रेख़्ता’ का उल्टा है, जो कि मर्द के नज़रिये से लिखा गया साहित्य है।
व्यापक यौनिकता शिक्षा किशोरावस्था के विकास का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो दृष्टिकोण, व्यवहार, और समग्र विकास को प्रभावित करती है।