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न जाने कितने अनुभवों के बाद ही मैंने यह समझा था कि देर रात से घर लौटने के लिए आख़री लोकल ट्रेन में सफर करना भी एक विकल्प हो सकता है। अपने घर से दूर किसी दूसरे शहर में रहते हुए बड़े होने का एक लाभ यह होता है कि आप दुनिया को एक नए नज़रिये से देख पाते हैं।
प्रेम के लिए कोई ‘नियम पुस्तक’ तैयार नहीं हो पालगाने ई है और इन भावों को जानने और समझने के लिए बहुत सोच विचार और दिमागी ज़ोर की ज़रूरत होती है।
इस फिल्म का यह प्रभाव हुआ है कि ये दर्शकों के मन में विचार अंकुरित करने में सफल रही है, एक ऐसे विचार का अंकुर जिसमें आगे चलकर प्रत्येक दर्शक के मस्तिष्क में एक गहन विचार और मंथन की प्रक्रिया बन जाने की क्षमता है।
यह सही है कि खुद के व्यक्तित्व को सँवारने के लिए हम जो कुछ भी कोशिशें करते हैं, उन पर बहुत हद तक हमारे सामाजिक वर्ग, जाति, धर्म, यौनिकता के रुझानों और दूसरे कई कारक प्रभाव डालते हैं।
यह बात 2013 की सर्दियों के समय की है। एक शाम मैं और मेरे पिता, घर की बैठक में सोफ़े…
सदीयों से हम सबकी प्रेम पाने की आशा जस की तस बनी हुई है। इस सहस्त्राब्दी के आरंभिक वर्षों में…
उत्पीड़न करने की आदतों को बदलने की कोशिश में नीतियों का बदला जाना ज़रूरी होता है, लेकिन इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि लोग उत्पीड़न के विरोध में अपनी आवाज़ उठाएँ।
इस घटना नें मुझे हिलाकर रख दिया था। मुझे महसूस हुआ कि हमारे समाज में जहां सामान्य से हटकर किसी भी तरह के व्यवहार को मान्य नहीं समझा जाता, वहाँ लोगों को सिर्फ अपने जेंडर और यौनिकता की अभिव्यक्ति करने की भी कितने बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। समाज के इस असहनशीलता से मेरे मन में डर का जो भाव पैदा हुआ, वह मेरे लिए कोई नया नहीं था।
अब मैं बार–बार पीछे मुड़कर देखने और अंजान आदमियों के भय से डरी रहने से भी थक चुकी हूँ। मेरे मन में हमेशा यह डर बना रहता है कि मेरी शारीरिक सीमायों का कोई उल्लंघन न कर दे और साथ ही मैं अब लोगों को अपने से दूर रखते रहने की कोशिश करते हुए भी थक चुकी हूँ।
व्यक्तिगत रूप से मुझे, एक युवा अविवाहित लड़की से अब प्रगतिशील और सकारात्मक प्रभाव और संतोषजनक सम्बन्ध रख चुकी उम्रदराज़ विवाहित महिला बनने के इस सफर से अपने निजी जीवन में अपनी प्राथमिकताएँ निर्धारित करने में बहुत मदद मिली है।
पवन ढल सैद्धांतिक रूप से यौनिकता को अक्सर पूरी तरह से परिवर्तनशील बता कर परिभाषित किया जाता रहा है।…
मेरी सफलता के बारे में और उस पर मेरे अविवाहित होने की बात सुनकर अधिकांश पुरुष मेरे प्रति कुछ अधिक जिज्ञासु हो जाते है जबकि महिलाएं मेरे अविवाहित होने के बारे में सुनकर कुछ और ज़्यादा सवाल करने लगते हैं।
यह लेख मूल रूप में फेमिनिज्म इन इंडिया में प्रकाशित हुआ था। शशांक मैं बचपन से ही बहुत ही नटखट,…
This post was originally published here. हम अंदाज़ा लगा ही सकते हैं कि जब दलितों का आज भी इतना शोषण…
मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है, यौनिकता। यौनिकता केवल शारीरिक या भौतिक स्तर पर ही सीमित न होकर हमारी सोच,…