A digital magazine on sexuality, based in the Global South: We are working towards cultivating safe, inclusive, and self-affirming spaces in which all individuals can express themselves without fear, judgement or shame
स्कूल के नियम और अनुशासन मुझ से पूरी तरह से आज्ञाकारी और निर्देशों को मानने वाली छात्रा होने की उम्मीद रखते थे और शायद मेरी यौनिकता और जीवन विकल्पों के मेरे चुनाव पर नियंत्रण रखने को भी अपना अधिकार क्षेत्र समझते थे।
समय के साथ-साथ अब मैं जान चुकी हूँ कि उनके इस उलाहने में ‘घर’ का मतलब सिर्फ वो जगह नहीं है जहां मेरे माता-पिता रहते हैं, बल्कि इसका मतलब उन सभी व्यवहारों और मान्यताओं से है जिनकी अक्सर माता-पिता अपने बच्चों से उम्मीद करते हैं।
महिला और पुरुष की भूमिकाएँ अलग-अलग जगह, परिस्थितियों, लोगों और उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर बदलती रहती हैं। समय के साथ हो रहे इन बदलावों को देखते हैं लेकिन इन बदलावों से निपटना उन लोगो के लिए आसान नहीं जो इनसे गुज़रते हैं।
डिजिटल माध्यमों तक पहुँच आसान हो जाने से उपेक्षित वर्ग भी अब यौनिकता से जुड़ी सामग्री को देखने, पढ़ने और तैयार कर पाने में सक्षम हुए हैं और इस तरह की जानकारी तक पहुँच पाने में उनके सामने पहले आने वाली कठिनाईयाँ अब दूर होती नज़र आ रही है।
बदलाव का एक निर्माण खंड कुछ ऐसे उदहारण प्रस्तुत करना है कि सार्वजनिक स्थानों पर लोगों का सकारात्मक व्यवहार कैसा होना चाहिए | उन्हें देख कर पता चलता है कि किस तरह समुदाय के सभी लोग – चाहे मित्र हों या परिचित – कैसे सौहार्दपूर्वक प्रगतिशील जीवन जीते हैं।
कैथ के किरदार और उसके जीवन को दिखाया जाना वास्तव में उन अनगिनत फैनगर्ल्स के प्रति अन्याय ही कहा जाएगा जो एक फैन के रूप में अपनी पहचान को अपने वास्तविक सामाजिक और यौनिक जीवन व रुझानों पर कभी भी हावी नहीं होने देती।
जीवन में उम्र बढ़ने के साथ, खासकर किशोरावस्था पार होने पर, यौनिकता पर चर्चा में हमेशा ‘सुरक्षित रहने’ पर ही बात होती है – और इसी नज़रिये से यह माना जाता है कि हमारी सुरक्षा इसी बात पर निर्भर करती है कि हम एक विषमलैंगिक-पितृसत्तात्म्क व्यवस्था के अनुरूप किसतरह से व्यवहार करते हैं।
पहले जिन स्त्रीसुलभ व्यवहारों के कारण मुझमें वो मेएलीपन दिखाई देता था, अब वो मेरे जीवन का हिस्सा बन चुका है। वह अब उन सब कपड़ों में जो मैं पहनती हूँ, जिस अंदाज़ में मैं चलती, सोचती और बात करती हूँ या लोक चर्चाओं में भाग लेती हूँ, परिलक्षित होता है।
एक समय ऐसा था जब मैं भी लड़कियों के लिए बनाई जाने वाली हर चीज़ से सिर्फ इसलिए दूर भागती थी क्योंकि मुझे लगता था कि नारीवादी दिखने के लिए एक खास तरीके से दिखना और व्यवहार करना आवश्यक है।