अपनी यौनिकता को समझने की कोशिश,अपने आप में एक नए किस्म का प्रयास है। इस बात का मतलब क्या है? आइये इस नूतनता को समझते हैं। सबसे पहले तो यही, कि हम अपने शरीर, उसकी यौन अभिव्यक्ति, और अलग–अलग तरीकों से आनंद का अनुभव करने की उसकी क्षमता को समझना चाहते हैं। इतना भर भी बहुत से लोगों के लिए सामान्य तौर पर आश्चर्यजनक है क्योंकि यह बात सामान्य सामाजिक मानदंडों से परे है। फिर जिस तरह का संवाद, जिस तरह के अनुभव, और जिस तरह के अन्वेषणों से गुज़रते हुए, हम अपनी यौनिकता को समझते हैं, वे तरीके भी अक्सर अपने आप में नयापन लिए होते हैं।
अपनी यौनिकता का अन्वेषण और कारणों से भी एक नया अनुभव है। सबसे पहले ये समझना पड़ता है कि व्यक्ति क्या अनुभव करना चाहता है? उसके बाद हमारे जैसे सामाजिक ढांचे के बीच, अपने यौन अनुभवों के लिए एक शांत जगह ढूंढ पाना, अपने शरीर और यौन अंगों के साथ कई तरह के अनुभव, हस्तमैथुन आदि को अनुभव कर पाना, और ये चिंता न करना कि ‘कोई आ न जाये‘, ये सारी चीज़ें, एक नया–सा अनुभव है। इसलिए यौनिकता का अनुभव, और उसके साथ अपने प्रयोग, सब एक अलग नयापन लिए होते हैं।
यौनिकता के सन्दर्भ में नवीनीकरण या इनोवेशन को पूरी तरह समझने के लिए, और भी कई चीज़ें समझनी होंगी। उनमें से एक ये भी है कि अपने अनुकूल साथी कैसे खोजा जाए।
पार्टीज़, ऑनलाइन डेटिंग एप्प्स, दोस्तों के मिलवाने से ले कर अरेंज्ड मैरिज तक, कोई भी तरीका इस्तेमाल करें, सही साथी चुन पाना, हमेशा एक नया अनुभव होता है। और फिर लोगों से मिलने के नित–नूतन तरीके, नयी तकनीक रोज़ विकसित होती हैं।
ऐसे ही, उन्हें यौन सुख, और यौनिकता संबंधित अपनी पसंद–नापसंद बताना थोड़ा रोमांचक तो है, लेकिन अभी सर्वमान्य न होने के कारण भी नया है। आपको ऐसे तरीके खोजने और सीखने होते हैं बातचीत के, जिससे आप खुल कर अपने मन की बात कह भी सकें, और सामने वाले को बुरा भी न लगे। कंसेंट,अ/सहमति की सीमाएं, यौन एवं सामान्य स्वास्थ्य सम्बन्धी चर्चा, ये सारी बातें एक नया अनुभव लाती हैं।
जैसे BDSM के संदर्भ में सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है, LGBTQ+ के संदर्भ में गोपनीयता के बारे में बात करने के तरीके महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं। बहुप्रेमी यौनिकता को जीने वालों के लिए नैतिकता, भावनात्मक अ/सुरक्षा को संबोधित करना ज़रूरी हो जाता है। संक्षेप में, यौनिकता के हर अनुभव के साथ कुछ नवीनता जुड़ी ही है। प्रश्न ये नहीं कि हमारे पास नवीनीकरण के विकल्प हैं या नहीं। प्रश्न ये है कि क्या हम में नए विकल्प तलाश करने, और बनाने की इच्छा शक्ति और हिम्मत है?
अगर नवीनीकरण या इनोवेशन को समझना है तो सबसे अच्छी पुस्तक है The Innovator’s DNA जिसे लिखा है जेफ़ डायर, हाल ग्रेगेर्सन, और क्लेटन क्रिस्टेनसेन ने। इनके अनुसार, इनोवेटिव लोग नए विचारों को ढूंढने, उन्हें समझने, और उन्हें एक दूसरे से जोड़ने में माहिर होते हैं। ये लोग किसी भी नए विचार से संबंधित प्रोटोटाइप बना पाते हैं, उसे परख पाते हैं, और फिर उसके बहुत से मॉडल भी बना पाते हैं। अब शायद आप सोचें की यौनिकता से इसका क्या लेना देना? आइये देखते हैं।
यौनिकता में नूतनता और इनोवेशन की बात करते समय मैं लोगों के अनुभवों की बात कर रही हूँ। लोगों के जीवन की बात कर रही हूँ। चाहे वह कार्यक्षेत्र हो, शिक्षा, परिवार, समाज,अध्यात्म, भोजन, BDSM, खेल, बहुप्रेमी प्रथा, संगीत, या उनके यौन सम्बन्ध; जो लोग अपने अनुभवों को एक दूसरे से जोड़ते हैं, वे अपना एक व्यक्तिगत, निजी, विशिष्ट प्रकार का यौन अनुभव बना पाते हैं।
सच ये है, कि सभी लोग ऐसा करते भी हैं, अपने अपने तरीकों से। सोच कर देखिये, कितने लोग फल, सब्ज़ी, चॉकलेट्स, मिठाई, शहद, और न जाने क्या क्या, इस्तेमाल करते हैं, अपनी कामुकता और यौन उत्तेजना के लिए। ऐसे ही बहुत से लोग स्कार्फ़, टाई, रिबन आदि इस्तेमाल करते हैं। पंख से सहला कर अपने साथी को उत्तेजित करना, या उन्हें यौन सुख के लिए बांधना, आदि।
अंग्रेजी में एक सिद्धांत है ‘lateral Thinking’ – लेटरल थिंकिंग का अर्थ है किसी चीज़ को नए तरीके से इस्तेमाल करना – जैसे किसी गिलास को बर्तन की तरह इस्तेमाल करने के बजाय पेपरवेट की तरह इस्तेमाल में लेना। तो अगर आप ऊपर दिए गए उदाहरण देखें, तो वे सब यौनिकता में lateral thinking के उदाहरण हैं। यथार्थ में, इनोवेशन की पहली सीढ़ी है ये।
फिर इसके बाद सेक्स टॉयज़, हस्तमैथुन के नए तरीके, रिमोट से चलने वाले सेक्स टॉयज, किंक वेब्सीटेस, ये सब तकनीक का इस्तेमाल कर के लोगों के यौन अनुभवों को बेहतर बनाना नहीं तो क्या है? सोचिये, दोमुंहे dildo के बारे में; और दो समलैंगिक महिलाओं के बारे में। सोचिये सेक्स डॉल, सेक्स रोबोट, और जल्द आ रहे augmented reality (AR) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में। शायद कल को जो लोग विकलांगता के साथ जी रहे हैं, उन लोगों के लिए भी यौन सुख अनुभव करना सुगम ही नहीं नया नार्मल भी हो जाये।
इसी तरह डेटिंग एप्प्स, सोशल मीडिया, के बारे में सोचिये। BDSM तथा किंक कम्युनिटी के लोगों के लिए, LGBTQ + समुदाय के व्यक्तियों के लिए , उम्र दराज़ लोगों के लिए, जो लोग विकलांगता के साथ जी रहे हैं, उन लोगों के लिए अलग वेबसाइट, होने का अर्थ है, उनके अपने लिए साथी ढूंढ पाने में सहजता। ये सभी प्रकार के प्लेटफॉर्म्स, मैंने उपयोग में ले कर देखे हैं, और मैं सच बता रही हूँ, मुझे ये सब देख कर बहुत ख़ुशी होती है, उन सब लोगों के लिए, जिनके बारे में या तो पहले बात ही नहीं होती थी, या जिनकी यौनिकता के बारे में बहुत से पूर्वाग्रह थे।
इसी तरह मैंने घर पर सेक्स टॉयज़ बनाये हैं, फ़्लॉगर्स भी बनाये हैं। चमड़ा, नाड़ा, डोरी, इलास्टिक, तार, आदि बहुत सारी चीज़ें इस्तेमाल में ली हैं। मैंने जूते की डोरी से सेक्सी अंडरवियर भी बनाया है, और कॉस्टयूम ज्वैलरी से कॉलर्स भी। ये सब चीज़ें मैंने अलग अलग प्रकार से अपने साथियों के साथ BDSM परिपेक्ष्य में इस्तेमाल भी की हैं।
संक्षेप में मैं जो कहना चाह रही हूँ,यौन सुख भी इनोवेशन की मानसिकता से उसी तरह प्रभावित हो सकता है जैसे कोई भी और चीज़। चाहे वह यौन सुख से सम्बंधित वस्तुएं हों, या पोर्न, या घर में बनाये उत्तेजक खिलौने; चाहे वो वियाग्रा हो, या अलग अलग प्रकार के कंडोम, सेक्स टॉयज़, एप्प्स, वेबसाइट्स या दो लोगों के बीच का एक निहायत ही निजी पल, यौनिकता में नूतनता लाना, आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है।
ज़रुरत है सोच के विस्तार की। क्या आप माहौल, संगीत, सुगंध, भोजन, संवेदना, ध्वनि, और बाकि इन्द्रियों की उत्तेजना को यौन सुख के साथ जोड़ सकते हैं? क्या आप घर में मिलने वाली बर्फ, मोमबत्ती, फल, सब्ज़ी, चॉकलेट्स, रिबन, टाई, किचन में काम आने वाले उपकरण, कपडे, इत्र आदि का उपयोग/ इस्तेमाल करने के बारे में सोच सकते हैं? क्या आप अपने साथी/यों के साथ अपने संबंधों को नित–नूतन जीवंत बना सकते हैं? उसमें मेहनत शायद हो, लेकिन आनंद और सुख भी उतना ही होगा। यदि हाँ तो आप का स्वागत है इनोवेटिव सेक्सुअलिटी, या यौनिकता के इनोवेशन की दुनिया में! लेकिन सिर्फ तभी जब की आप में हिम्मत हो!
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