इन प्लेनस्पिक के इस काम व यौनिकता के मुद्दे को सुनने के बाद पहला विचार मन में आया कि मैं कार्यस्थल पर होने वाली यौन हिंसा के बारे में लिखूंगी। फिर ऑफिस में रोमांटिक रिश्तों व लव स्टोरी के बारे में याद आया जो हम सब अपने काम के आसपास देखते या सुनते आये हैं और यह बॉलीवुड फिल्मों का भी पसंदीदा मुद्दा रहा है। मुझे ये बड़ा ही रोमांचक लगा, और जब मैंने लिखना शुरू किया तो एक सवाल मेरे दिमाग में आया – क्या कार्यस्थल पर इस मुद्दे से सम्बंधित कोई नीति है?
एक साथी सहकर्मी ने अपनी एक कार्यशाला का अनुभव साझा करते हुए बताया था कि कार्यशाला के दौरान जब कार्यस्थल पर यौनिकता के लिए नियमों की चर्चा हो रही थी तो एक प्रतिभागी ने अपने विचार ज़ाहिर करते हुए कहा कि काम के स्थान पर सेक्स या रोमांटिक रिश्ते नहीं बनाने चाहिए पर ‘हाँ यदि प्यार सच्चा है तो अलग बात है’। अब सवाल यह उठता है कि मैं यह कब तय करूंगी कि प्यार सच्चा है अगर यह वन नाईट स्टैंड है तो मैं क्या करूंगी? यदि ध्यान से देखा जाए तो इस तरह की बातें भी केवल जीवन भर एक ही साथी के साथ सम्बन्ध – मोनोगमस या कमिटेड – रिश्तों को मान्यता व बढ़ावा देती हैं जबकि हम अपने काम में कहते हैं कि रिश्ते केवल शादी के अंदर या मोनोगमस नहीं होते हैं।
मुझे लगता है कि वर्तमान समय में काम के स्थान पर रोमांस व रिश्तों पर चर्चा करना बहुत जरूरी है। एक तरफ़ भारत में संस्कृति के नाम पर शादी से पहले या बाहर रिश्तों के लिए मनाही है और संस्कृति को बचाए रखने का जिम्मा लेने वाले ठेकेदार लगातार इस बात की पैरवी भी करते रहते हैं। वहीँ दूसरी तरफ़ नारीवादी आन्दोलनों के दौरान हम स्वतंत्रता, इच्छा, आनंद व रिश्तों में चयन के मुद्दे पर बात करते हैं, आवाज़ उठाते हैं और पैरवी करते हैं! यहाँ मेरा उद्देश्य सही और ग़लत के बीच अंतर स्पष्ट करना नहीं है पर इस मुद्दे पर सम्पूर्ण चुप्पी पर सवाल उठाना है।
कार्यस्थल पर यौनिकता का मुद्दा युवाओं के सन्दर्भ में और भी गंभीर हो जाता है। हम ख़ुद युवाओं के अनुकूल सेफ़ स्पेस या सुरक्षित स्थानों के निर्माण की बात करते हैं और कर भी रहे हैं पर दुर्भाग्यवश, कार्यस्थल पर सहमति से रिश्तों को हम कहीं पीछे छोड़ देते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण इसीलिए भी है क्योंकि हम यह जानते हैं कि अधिकतर युवाओं के पास कोई सुरक्षित जगह नहीं है। कहने के लिए पार्क, होटल, सिनेमाघर आदि हैं जहाँ पर युवा जाते भी हैं परन्तु मेरा सवाल है कि क्या ये सारी जगह सुरक्षित हैं? होटल व पार्कों में पुलिस तंग करती है, पैसे वसूलती है, यहाँ तक कि युवाओं को मारपीट का सामना भी करना पड़ता है, और कई बार ऐसे युगलों के साथ यौनिक हिंसा भी होती है। एक बड़ा सवाल और है कि जो लोग समलैंगिक रिश्तों में हैं उनकी मुश्किलों के बारे में कौन जवाब देगा? ऐसे माहौल में जब दो व्यक्ति ऑफिस में मिलते हैं और आकर्षित होते हैं तो उनके लिए सेफ़ स्पेस कहाँ है? यहाँ इस बात को भी कतई नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है कि अगर ऑफिस में सहकर्मी सेक्स करते हैं या अंतरंग रिश्ते बनाते हैं तो उसका असर अन्य कार्यकर्ताओं व काम पर क्या होगा!
जब हम कार्यस्थल पर रिश्तों की बात करते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में यौनिक हिंसा का विषय आता है। इस मुद्दे पर अब एक मज़बूत कानून भी हमारे पास है परन्तु कार्यस्थल पर सहमति, इच्छा व आनंद के आधार पर रिश्तों के बारे में कानून तो छोड़िए कोई नीति भी नहीं है। और यदि गिनी-चुनी जगह पर इसका ज़िक्र आता भी है तो वह लिखित में नहीं है। और जो अलिखित हैं वह नियंत्रण पर अधिक ध्यान केन्द्रित करते हैं। ऐसी ही एक नीति के एक पहलू के बारे में बातना चाहूंगी जो अक्सर कई अलग-अलग संस्थाओं में काम करने वाले मेरे साथियों ने महसूस की है। यदि आप संस्था में काम कर रहे हों और अपने किसी सहकर्मी के साथ डेट कर रहे हों तो आपको संस्था के प्रमुख को सूचित करना पड़ेगा। अब इस नियम को बनाने के कई कारण हो सकते थे पर मुझे यह बताया गया कि यह नियम कार्यस्थल पर हिंसा को रोकने के लिए है। हालांकि यह कहीं पर लिखित में नहीं था परन्तु अगर देखा जाए तो उन व्यक्ति के लिए यह गोपनियता का उल्लंघन है जो रिश्ते में है पर यह जानकारी सभी के साथ साझा नहीं करना चाहते हैं। यहाँ ये सवाल फिर से उठते हैं कि रिश्ते से हमारा क्या तात्पर्य है? क्या अगर दो सहकर्मियों ने एक बार सेक्स किया हो तो उन्हें ऑफिस में यह घोषणा करनी चाहिए? या केवल मोनोगमस रिश्तों, या जो रिश्ते कुछ दिनों तक चल रहे हों, उनके बारे में बताना चाहिए? इसका दूसरा पहलू यह भी है कि अगर दो अलग-अलग पदों पर काम कर रहे लोगों के बीच रिश्ता है तो बताना अनिवार्य है ताकि अन्य स्टाफ को न लगे कि किसी भी प्रकार का पक्षपात हो रहा है, और संस्था प्रमुख इन मुद्दों पर ध्यान रख सकें। पर यदि संस्था प्रमुख ही किसी कर्मचारी की तरफ़ आकर्षित हों तो? जैसा कि हम सभी जानते हैं, रिश्तों में सत्ता का एक महत्वपूर्ण तत्व जुड़ा हुआ है। इस आखिरी सवाल में इसे और भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है, और इस कारण इस मुद्दे पर बात करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए मैं आपका ध्यान उन महिलाओं और पुरुषों की ओर लाना चाहूंगी जो घरों में घरेलू कामगारों के रूप में काम करते हैं और रहते भी वहीं हैं। उनके काम का स्थान व घर एक ही जगह होने के कारण उनके पास तो कोई विकल्प ही नहीं है कि कहीं और जाकर अपने साथी से मिल पाएं और प्यार मुहब्बत कर सकें। और आजकल तो घरेलू कामगारों को घर से बाहर जाते वक़्त ताले में बंद कर देना एक आम बात बनती जा रही है। और इसके पीछे का मुख्य कारण है कि घरों में काम करने वाली लड़कियां मालिक की ग़ैरहाज़िरी में अपने बॉयफ्रेंड या साथी को सेक्स करने के लिए घर में न बुला लें।
हम जब अपने काम के दौरान प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं व सम्मेलनों में बात करते हैं, तो हमारा दृष्टिकोण यौनिकता, आनंद, इच्छा के मुद्दे पर बहुत ही सकारात्मक होता है परन्तु अपने ऑफिस में रोमांस की बात करते समय हमारा वही दृष्टिकोण नियंत्रण केंद्रित हो जाता है। ये सवाल पेचीदा हैं और इन पर कोई सीधे जवाब नहीं मिल सकते है। पर शायद एक पहला क़दम यह हो सकता है कि आज हम अपने ऑफिस में इस पर चर्चा करें और अपने-अपने अनुभवों को साझा करें। अगर आपके ऑफिस में ऐसी कोई लिखित या अलिखित नीति है, तो नीचे कमेंट्स में हमारे साथ साझा करें, इससे हम सबकी समझ बढ़ेगी और शायद कुछ दिलचस्प सुझाव भी मिलें।
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लेखक – रीना ख़ातून
Image credit: Suzette, CC BY 2.0