फोटोग्राफ़र लॉरा डे रेनल ऐसे संगठनों की कोशिशों को कैमरे में क़ैद कर रही हैं, जो लोगों को पहली बार इंटरनेट से जोड़ने में मदद कर रहे हैं.
मेडागास्कर के स्कूली छात्रों ने पहली बार इंटरनेट पर विकीपीडिया देखा और उससे मिली जानकारी को ब्लैकबोर्ड पर लिखा.
लगभग एक दशक पहले ‘वन लैपटॉप पर चाइल्ड’ प्रोजेक्ट विकासशील देशों में कक्षाओं में छोटे लैपटॉप उपलब्ध कराने वाली पहली योजनाओं में से एक था.
बच्चे इन छोटे लैपटॉप के ज़रिए गणित का अभ्यास कर पा रहे थे.
बांग्लादेश में इंटरनेट से सबसे ज़्यादा लोग फ़ेसबुक इस्तेमाल करने के लिए जुड़े, कई लोग तो इसके अलावा कुछ देखते ही नहीं हैं.
स्मार्टफ़ोन लोगों के लिए अक्सर दुनिया से जुड़ने का एक ज़रिया होने की जगह बस फ़ोटो खींचने का साधन बनकर रह गए हैं, जैसा कि भारत के इस मंदिर की तस्वीर से लगता है.
भारत के पुणे की एक झुग्गी में, एक टॉयलेट में पड़ा एक पोकेमोन आर्केड मशीन.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में अपने स्मार्टफ़ोन पर एंग्रीबर्ड्स खेलते दो लोग, उन्हें नहीं पता कि इस फोन पर वे इंटरनेट भी चला सकते हैं.
बांग्लादेश के हेयर कटिंग सैलूनों में संगीत बजता रहता है, और जब तक आप बाल कटवाएँ, तब तक आपके फोन में गाने भी भर दिए जाते हैं. डेटा का पैसा बचाने के लिए लोग ब्लूटूथ या मेमोरी कार्ड का इस्तेमाल करते हैं.
फ़ेसबुक और व्हाट्सएप छोटे व्यवसायियों के लिए काफ़ी काम की चीज़ हो सकते हैं, जैसे केन्या के इस मांस-कारोबारी को फ़ायदा हो सकता है, अगर वो ऑनलाइन पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवा दे.
रियो के फावेला में आज भी साइबर कैफे इंटनेट के इस्तेमाल के लिए अहम जगह है. अभिभावक जानते हैं कि कैफे के अंदर उनका बच्चा सुरक्षित है. हालांकि वो ज़्यादातर वीडियो गेम ही खेलते हैं.
तेज़ी से आगे बढ़ते हुए भारत जैसे देश में ऐसे लोग कम ही मिलतें हैं जो इस तकनीक से वाकिफ़ ना हों, लेकिन कॉटन मिल के इस मज़दूर के पास साधारण मोबाइल तक नहीं है. वो मिल से सटे हुए कमरे में सोता है, जिसमें कई और लोग भी होते हैं. मिल के मालिक ने अपने फेसबुक पर ये फोटो शेयर की.
बांग्लादेश के एक ग्रामीण इलाक़े में अधिकतर लोगों के लिए इंटरनेट का मतलब है फेसबुक एकाउंट होना. मोबाइल ऑपरेटर इन इलाक़ों में ज़्यादातर ज़ीरो रेटिंग कार्यक्रम रखते हैं. ये लोगों को नेटवर्क के अंदर ही रहने की शर्त पर फेसबुक ब्राउज़ करने की अनुमति देता है.
उत्तरी मेडागास्कर के गांवों में सात साल पहले बहुत कम स्मार्टफोन थे. लेकिन आज ये गांववाले फेसबुक और बाकी सोशल मीडिया पर अपना समय और पैसा ख़र्च कर रहे हैं.
चित्र : The Telegraph