A digital magazine on sexuality, based in the Global South: We are working towards cultivating safe, inclusive, and self-affirming spaces in which all individuals can express themselves without fear, judgement or shame
गाने अक्सर फिल्मों से अधिक लोकप्रिय होते है और अपने अलग ही मतलब का निर्माण करते हैं। इनका मतलब उनता ही विविध है जितना इनको सुनने वाले लोग। मैं यह बिल्कुल नहीं मानता कि हम जो फिल्म और चित्र देखते है उसका हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है। हिंसक या अन्यथा मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए दोषी वह ही हैं जो यह कार्य करते हैं और वे जो उन्हें बेहतर शिक्षा दे सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। शिक्षा और बातचीत से हम युवाओं को सही समझ और बेहतर निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाते हैं।
अपने बच्चों को बाहरी दुनिया की बुराइयों से बचाने की अपने यक़ीन के कारण भारतीय परिवार इस सच्चाई को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि बच्चों को भी दुनिया को समझने के लिए तैयारी की ज़रुरत होती है।
Directed by Saim Sadiq, Joyland (2022) is not a film about trans rights or women’s rights. It is not even about one specific group or community of people. It is about the whole spectrum of human emotions.
As individuals who are now privileged enough to address issues concerning mental and emotional health as compared to our parents and the generations before them, it is still quite disturbing to observe emotional/ psychological violence happening to women at different levels.
Here’s to some quiet time listening in to what people are saying, and consuming, on the Internet, particularly on social media, on the subject of gender and sexuality.