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यौनिकता और एकल महिला 

एक लड़की की तस्वीर, जिसमे वह अपने हाथ को पीछे करके और अपना सर ऊपर करके खड़ी है। पीछे समुद्र और ढलता हुआ सूरज दिखाई पड़ रहा है।

क्या आप विवाहित हैं?” यह एक ऐसा सवाल है जो मेरे भारत आने पर अक्सर मुझसे पूछा जाता रहा है। फिर जब इस सवाल के उत्तर में मैंकहती हूँ, तो जाने क्यों मुझे ऐसा लगता है मानो मेरे जवाब को सुनकर, मेरे जीवन के बारे में और अधिक जानने की इच्छा से सामने वाले इस बारे में कुछ और अधिक बातें करना चाहते है। मेरी सफलता के बारे में और उस पर मेरे अविवाहित होने की बात सुनकर अधिकांश पुरुष मेरे प्रति कुछ अधिक जिज्ञासु हो जाते है जबकि महिलाएं मेरे अविवाहित होने के बारे में  सुनकर कुछ और ज़्यादा सवाल करने लगते हैं।    

ऐसी उम्मीद की जाती रही है कि औरत के जीवन का उद्देश्य, उसका विवाह हो जाने पर ही पूरा होता है और इसी एक लक्ष्य को पा लेने की इच्छा सभी महिलाओं को करनी चाहिए। विवाह किए बिना जीवन को पूरी तरह से जी पाने की कल्पना करना भी व्यर्थ समझा जाता है। अभी कुछ महीने पहले ही, अमरीका की एकजेंडर ऐक्टिविस्ट नें मुझे फोन कर यह जानने की इच्छा जताई कि मैंने अभी तक विवाह क्यों नहीं किया था और क्या विवाह करने में मेरी कोई रुचि नहीं है? उनके इस प्रश्न पर कुछ समय के लिए तो मैं हैरान रह गयी, क्योंकि मुझे तो लगा था कि उन्होने काम के सिलसिले में मुझे फोन किया था। मैं तो इस व्यक्ति को इतना नज़दीक से भी नहीं जानती थी कि उनसे अपने जीवन से जुड़ी नीजी बातें साझा करने लगूँ   

लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि मुझसे इस तरह के प्रश्न पूछने का इनका और दूसरे लोगों का वास्तविक उद्देश्य यह जानना होता है कि अविवाहित रहते हुए भी क्या मैं सेक्स करती हूँ या नहीं

आखिरकार,‘अच्छे चरित्रवाली महिलाओं से यह अपेक्षा तो बिलकुल नहीं की जाती कि वे वैवाहिक जीवन के दायरे से बहार भी सेक्स करती हों।  

ऐसा मान लिया जाता है कि शकलसूरत में ठीकठाक दिखने वाली किसी सफल महिला नें अगर विवाह किया हो तो ज़रूरी है कि उसमें कोई कोई कमी ज़रूर होगी। 

यह भी मान लिया जाता है कि सभी की यौन इच्छाएँ और रुझान एक जैसे ही होते हैं। 

ऐसा भी माना जाता है कि यौन इच्छाओं की संतुष्टि केवल वैवाहिक सम्बन्धों में बंधे होने पर ही की जानी चाहिए। 

सेक्स के प्रति दुनिया के इस तंग नज़रिये के कारण ही लोग सामाजिक नियमो का पालन करते हुए, अलग तरीके से जीवन जीने की हिम्मत रखने वाली निर्भीक महिलाओं को अच्छी निगाह से नहीं देखते। लोग ऐसी सफल महिलाओं की सफलता में भी उनकी कोई कोई कमज़ोरी ढूंढने की कोशिश करते हैंउनके बच्चे नहीं है और ही उनके पास किसी तरह की कोई ज़िम्मेदारी है। ज़्यादातर पुरुषों को ऐसा लगता है कि अविवाहित महिलाएं उनके लिए आसानी सेउपलब्धहो सकती हैं और इसीलिए उन्हें तंग किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर ज़्यादातर महिलाएं इन सफल और निर्भीक महिलाओं से दूर ही रहना चाहती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये उनके प्यारे और भोले से पति को उनसे चुरा लेंगी। 

एक समझदार महिला नें मुझे एक बार कहा था,“दुनिया में, किसी सफल लेकिन अकेली महिला से शक्तिशाली कोई नहीं है।“ 

ऐसी बहुत सी युवा महिलाओं को, जिन्हें मैं जीवन जीने के बारे में मार्गदर्शन देती हूँ, उन्हें अक्सर यह चिंता रहती है कि कहीं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ उनके संबंध बन जाएँ, जो उनके साथ सहयोग करे और फिर इस कारण उनकी अपने सपनों को पूरा कर पाने की ख्वाईश अधूरी ही रह जाये। ये युवा महिलाएं अपना कैरियर बनाना चाहती हैं, अपना भविष्य सवारना चाहती हैं, अपने निजी और कामकाजी जीवन में अनेक विकल्पों को तलाशना चाहती हैं और वे किसी भी पुरुष के साथ विवाह संबंध बनाकर अपने सुनहरे भविष्य से समझौता नहीं करना चाहती। मैं उनकी चिंता को भी समझ सकती हूँ कि उन्हें अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए सामाजिक मान्यताओं के अनुसार व्यवहार करने के कारण  बहुत ज़्यादा तनाव भी होता है। मैं उन्हें खुद अपना उदाहरण देती हूँ और यह बताने की कोशिश करती हूँ कि मैंने भी अपने जीवन में खुद को किसी चीज़ से कभी वंचित नहीं रखा हैफिर चाहे वो किसी का प्यार हो, अपना कैरियर हो, जीवन में मिलने वाले अवसर हों या फिर जीवन के अन्य अनुभव। यह ज़रूरी नहीं है कि किसी खास सामाजिक ढर्रे के अनुरूप खरा उतारने के लिए व्यक्ति को जीवन में समझौते करने ही पड़ें।      

अपनी उम्र बढ्ने के साथसाथ अब मैंने खुद अपने से और अपने इस शरीर को प्रेम करना सीख लिए है। अपने व्यावसायिक जीवन में सफलता से निश्चित तौर पर इसका गहरा संबंध रहा है। अब जीवन में पीछे मुड़ कर देखती हूँ, तो मुझे एहसास होता है कि युवावस्था के शुरुआती सालों और बीस वर्ष के उम्र के आसपास, जिस समय मैं शारीरिक रूप से अपनी जीवन की ऊर्जा के उच्चतम शिखर पर थी, तब उस समय मुझ में आज की तरह आत्मविश्वास नहीं था और यही कारण रहा कि उस समय मैं अनुभवहीन थी और आहत होने के प्रति ज़्यादा संवेदी भी थी। लेकिन उम्र बढ्ने के साथसाथ, मेरे आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी हुई है, हालांकि अब इस उम्र में मैं शारीरिक रूप से पहले की तरह ऊर्जावान नहीं रही। मेरे इस आत्मविश्वास का सीधा संबंध मेरी आर्थिक स्वतंत्रता से है और क्योंकि मुझे यह भी पता है कि मैं जीवन से किस तरह की उम्मीदें रखती हूँ।    

मैं अपनी यौनिकता को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हूँ और मुझे पता है कि जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण क्या है, मेरी अपेक्षाएँ क्या हैं। जीवन में संतुष्ट रहने और अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए अब मुझे किसी पुरुष से संबंध बनाए रखने की ज़रूरत बिलकुल महसूस नहीं होती। लेकिन साथ ही साथ मुझे यह भी पता है कि किसी पुरुष के साथ सम्बन्धों में मेरी अपेक्षाएँ क्या होंगी और इसीलिए मैं किसी भी संबंध में बराबर की भागीदारी रख सकती हूँ, मुझे पुरुषों से  अधीनता स्वीकार करने की ज़रूरत अब बिलकुल नहीं है।   

लेखिका : एलसा मेरी डीसिल्वा 

Elsa Marie D’Silva (www.elsamariedsilva.com) is Founder & CEO of Safecity (www.safecity.in) संस्था की संस्थापिका और कार्यकारी निदेशक हैं। यह संस्था लोगों के अनुभवों के आधार पर सार्वजनिक स्थानों पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं की जानकारी जुटाती है। Elsa वर्ष 2015 में Aspen New Voices अध्यन्न की Fellow रह चुकी हैं और इन्हें 2017 के Vital Voices Global Leadership Award से भी सम्मानित किया गया है। 

सोमेन्द्र कुमार द्वारा अनुवादित। 

This article was published in English here.

कवर इमेज: picpic

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