टाइमपास

टाइमपास, जैसा कि भारत में रहने वाले हम में से अनेक लोग जानते ही हैं, टाइमपास का अर्थ होता है कोई ऐसी गतिविधि जिसका कोई विशेष अर्थ नहीं होता या जिसे हम ‘उत्पादक’ बिल्कुल नहीं कह सकते हैं! दिन भर में कभी भी ऐसा कुछ करना जिससे कि हमारा समय भी व्यतीत हो जाए लेकिन फिर हमें यह ग्लानि भी न हो कि हमनें अपना समय व्यर्थ ही नष्ट किया है, ऐसी ही टाइमपास करने की रचनात्मक गतिविधि को हम इस भाग में शामिल कर रहे हैं। टाइमपास करने को जहां ‘कम उत्पादक’ माना जाता है और फुरसत के क्षण बिताने के जेंडर और वर्ग आधारित अर्थ निकलते हों, आइए हम इन सब परिभाषाओं को पीछे छोड़ दें और अपने काम और दायित्वों में से कुछ समय निकाल कर उसे अपनी इच्छा अनुसार व्यतीत करें.. और फिर हमें इसमें कोई ग्लानि भी न हो! 

संगीत व नृत्य बहुत से लोगों के लिए तनाव को कम करने के उत्तम तरीके हो सकते हैं। हम में से बहुत से लोग अपनी ऊर्जा वापस पाने के लिए कोई विशेष गीत सुनते हैं या हमारे पास अनेक गानों की एक प्लेलिस्ट होती है और इन गीतों को सुनकर हमारा मन शांत या खुश हो जाता है। 

ऑनलाइन व मोबाईल गेम और पहेलियाँ भी तनाव को दूर करने के अच्छे तरीके हो सकते हैं बशर्ते कि हम इनका प्रयोग अपने रोज़मर्रा के दायित्वों से बच कर भागने के लिए न करें। 

कला, शिल्प और रचनात्मक गतिविधियां –   मूर्त और ठोस वस्तुओं की रचना करना वस्तुएँ जो दिखाई देती हैं, छुई जा सकती हैं और जिनका आनंद लिया जा सकता है एक बहुत ही संतुष्ट करने वाला आनंददायी कार्य हो सकता है। इस तरह की गतिविधि में सिलाई बुनाई करना, चित्र बनाना, रंग भरना, कागज़ मोड़ने (ऑरगामी) या कागज़ काटने की कला आदि शामिल हो सकते हैं। 

खाना तैयार करना भी कुछ लोगों को बहुत अच्छा लगता है। अक्सर खाना बनाने को हर रोज किया जाने वाला उबाऊ काम समझा जाता है और किसी भी पितृसत्तात्मक समाज में, जहां परिवार में सभी का पेट भरने का दायित्व केवल महिलाओं पर हो, यह बहुत ही मेहनत भरा काम हो सकता है। लेकिन फिर भी, बहुत से लोगों को खाना बनाना बहुत पसंद होता है और उन्हें अनेक तरह की सामग्री को मिला कर भोजन पकाना रचनात्मक लगता है।