About the theme: Gender and Sexuality
It is a common tendency to confuse sex for gender and gender for sex, to think of them as synonyms and use the terms interchangeably. This gets compounded when we add sexuality to the mix. The distinctions between the biological and the sociological get blurred, obliterating the complex processes and identities that the umbrella terms ‘gender’ and ‘sexuality’ cover. Gender and sexuality are certainly related, but they are different as well. The ‘inextricable’ link between the two is a societal construction that aims to simplify and control them by dividing them across an artificial binary that does not hold true in the lived realities of actual breathing, feeling, acting individuals. How is gender experienced, expressed, performed and regulated, and how can we look at it beyond the binary, especially in conjunction with sexuality? What are the ways in which gender inequality and sexism affect women as well as other marginalised groups, especially in the context of sexuality and sexual and reproductive health and rights? How do power and privilege play out in the realm/s of gender and sexuality? How important are safe, inclusive, and self-affirming spaces when it comes to the intersections of gender and sexuality? In this issue of In Plainspeak, we will look at all this and more.
विषय विवरण: जेंडर और यौनिकता
सेक्स को जेंडर और जेंडर को सेक्स मानना, उन्हें समानार्थी समझना और उनका अदल-बदल उपयोग करना एक आम प्रवृत्ति है। जब हम इसमें यौनिकता को जोड़ देते हैं तो यह और भी जटिल हो जाता है। जैविक और सामाजिक के बीच के अंतर धुंधले हो जाते हैं, जिससे पेचीदा प्रक्रियाएँ और पहचानें मिट जाती हैं जिन्हें ‘जेंडर’ और ‘यौनिकता’ शब्द व्यक्त करते हैं। जेंडर और यौनिकता निश्चित रूप से संबंधित हैं, लेकिन वे अलग भी हैं। दोनों के बीच का ‘अविभाज्य’ जोड़ एक सामाजिक निर्माण है जिसका उद्देश्य उन्हें एक कृत्रिम बाइनरी में विभाजित करके सरल बनाना और नियंत्रित करना है जो वास्तविक सांस लेने, महसूस करने, आम लोगों की वास्तविकताओं से मेल नहीं खाता है। जेंडर का अनुभव, अभिव्यक्ति, प्रदर्शन और विनियमन कैसे किया जाता है, और हम इसे द्विआधारी ढांचे से बाहर कैसे देख सकते हैं, ख़ासकर यौनिकता के साथ? जेंडर असमानता और लैंगिकतावाद महिलाओं के साथ-साथ अन्य हाशिए पर जी रहे समूहों को किस तरह प्रभावित करते हैं, ख़ासकर यौनिकता और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों के संदर्भ में? जेंडर और यौनिकता के क्षेत्र में सत्ता और विशेषाधिकार कैसे काम करते हैं? जेंडर और यौनिकता के बीच के अंतरसंबंधों की बात करें तो सुरक्षित, समावेशी और आत्म-पुष्टि करने वाले स्थान कितने महत्वपूर्ण हैं? इन प्लेनस्पीक के इस अंक में हम इन सभी और अन्य बातों पर नज़र डालेंगे।
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Deadline: November 3rd, 2024