Summary of the Webinar
- The key themes that emerged as contributing to a workplace being safe, inclusive and self-affirming through responses from audience participants and the speakers are honesty, open-mindedness, visibility, respect, access to committees, conflict-management, open communication.
वक्ताओं और श्रोताओं ने साझा किया कि एक कार्यस्थल को सुरक्षित, समावेशी, और आत्म-पुष्टि के अनुकूल बनाने के लिए क्या-क्या ज़रूरी है। इस नतीजे पर पहुंचा गया कि एक स्वस्थ कार्यस्थल के लिए सहकर्मियों के बीच ईमानदारी, खुले विचार, एक-दूसरे को अहमियत देना और उनका सम्मान करना, कमेटियों का सुगम्य होना, स्पष्टता, और आपसी संघर्ष से जूझने के असरदार तरीक़े ज़रूरी हैं।
- TARSHI’s report on SISA spaces can be used as a reflection point for organisations. Vandita Morarka, giving the example of One Future Collective, stated that thinking about policies and practices is not the same as doing/implementing them. Therefore, space needs to be made for both thought and action.
‘सीसा’ स्थानों पर तारशी का रिपोर्ट अन्य संस्थानों के लिए अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं पर विश्लेषण का एक ज़रिया हो सकता है। ‘वन फ़्यूचर कलेक्टिव’ का उदाहरण देते हुए वंदिता मोरारका ने बताया कि नीतियों और तकनीकों के बारे में सोचना एक बात है और उन्हें लागू करना अलग बात है, इसलिए सिर्फ़ विश्लेषण ही नहीं बल्कि कार्यान्वयन को मद्देनज़र रखते हुए भी माहौल तैयार किये जाने चाहिएं।
- The importance of sharing different thoughts that come from diverse backgrounds. NGOs are uniquely placed to consider and share diverse thoughts and opinions.
विविध सामाजिक-सांस्कृतिक तबक़ों से आनेवाले लोगों के अलग-अलग विचारों को सुनने और अहमियत देने की ज़रूरत पर बात की गई। आमतौर पर ग़ैर-सरकारी संगठनों को विभिन्न विचारधाराएं साझा करने के लिए आदर्श मंच समझा जाता है।
- Most organisations start with a vision and mission, which are against violence and discrimination. While organisation-level anti-discrimination talks occur, there needs to be sharing of vision as well as the burden of leadership.
हर संगठन के लक्ष्यों में हिंसा और भेदभाव को ख़त्म करना शामिल होता है। संगठन के अंतर्गत तो भेदभाव को रोकने के लिए बात होती है लेकिन ये निश्चित करना ज़रूरी है कि ये लक्ष्य हासिल करने के लिए सबके नज़रिये मिलते-जुलते हों और नेतृत्व की ज़िम्मेदारी हर कोई संभालता हो।
- A question to ask ourselves is who occupies and gatekeeps knowledge. It is important to share knowledge through organic processes, especially in a Brahmanical patriarchal society. Sharing knowledge can be a huge confidence-builder when one has internalised casteist notions of knowledge and intellect and self-stigmatises.
अपने आप से ये सवाल करना ज़रूरी है कि समाज में ज्ञान और जानकारी पर ज़्यादातर अधिकार किसके हाथों में होता है। एक ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक समाज में एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करना बेहद ज़रूरी है। जब जाने-अनजाने में हम जातिवादी ख़्याल अपने दिमाग़ में बैठा लेते हैं, ये अक्सर हमें ज्ञान की तलाश करने से रोकता है और ऐसे में आपस में जानकारी साझा करने से हमारा आत्मबल हमें वापस मिल सकता है।
- How can we democratise conversations and knowledge-sharing? NGOs usually tend to start with experimental processes but are compelled to over-structure due to prevalent notions of success. Deepa Pawar shared that Anubhuti dwells upon and learns from their failure stories. It is important to prioritise failure.
आपस में बातचीत और जानकारी साझा करने की प्रक्रिया में हम समानता कैसे ला सकते हैं? ग़ैर-सरकारी संगठन अक्सर प्रयोगात्मक तरीक़ों से ऐसा करने की कोशिश करते हैं लेकिन ‘सफ़लता’ की प्रचलित धारणाओं के रहते वे अपनी ढांचागत व्यवस्थाओं को ज़रूरत से ज़्यादा कठोर बना लेते हैं। दीपा पवार ने साझा किया कि उनकी संस्था ‘अनुभूति’ अपनी नाकामयाबी की घटनाओं से हमेशा सीखने की कोशिश करती है। अपनी असफलताओं को स्वीकार करना और उनसे सीखने की कोशिश करते रहना ज़रूरी है।
- A point that emerged in both the discussion and TARSHI’s report is the diversity, nuances and hierarchies present in the same identity category.
इस वेबिनार में बातचीत और तारशी के रिपोर्ट दोनों में ये बात रखी गई कि एक ही सामाजिक पहचान के तबक़े के अंतर्गत भी अक्सर बहुत विविधता, बारीकियां, और असमानताएं नज़र आ सकतीं हैं।
- As NGOs rely on funding, organisations tend to hire team members that fit certain profiles or belong to certain communities as it is difficult to get funding otherwise. The speakers emphasised on the importance of changing the narratives of experience and skillset when looking at CVs. It is important to see vulnerabilities as strengths.
ग़ैर-सरकारी संगठन फ़ंडिंग पर निर्भर करते हैं, इसलिए अक्सर वे उन्हीं कर्मियों को नियुक्त करते हैं जो किसी ख़ास तबक़े से ताल्लुक रखते हों या कुछ ख़ास पैमानों पर बैठते हों, वरना फ़ंडिंग आसानी से नहीं मिलती। वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर डाला कि प्रत्याशियों के अनुभवों और कौशलों के साथ-साथ उनकी ख़ूबियों और उन अनोखे गुणों पर ध्यान देना भी ज़रूरी है जो उन्हें अंदर से ताक़तवर बनाते हैं।
- The current NGO culture creates a lack of self-confidence and self-esteem. Hence, it is important to create space within our organisations to reflect on this.
फ़िलहाल ग़ैर-सरकारी संगठनों में आत्मबल और आत्मसम्मान को बढ़ावा देनेवाली कोई संस्कृति नहीं है। संगठनों में ऐसा माहौल बनाने के लिए बातचीत करना ज़रूरी है।
- NGOs do not equal movements. To bring the movement mentality to the NGO sector, it is important to link to lived experience but it is equally important to consider one’s boundaries. Are we sometimes forced to share our personal stories to get funding and resources, no matter what the impact is on ourselves? It is important to think about the repercussions of sharing our personal stories and accordingly draw boundaries in organisations’ relationships with donors/funders.
ग़ैर-सरकारी संगठन अपने आप में कोई आंदोलन नहीं होते। उनके ज़रिए आंदोलन शुरु करने के लिए लोगों के जीवन के अनुभवों से जुड़ना ज़रूरी तो है ही लेकिन साथ ही साथ अपनी मानसिक सीमाओं का ध्यान रखना भी ज़रूरी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि हम फ़ंडिंग और संसाधनों के लिए अपने निजी अनुभव साझा करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे हम पर बुरा असर पड़ता है? अनजान लोगों के साथ अपनी निजी ज़िंदगी की कहानियां साझा करने से पहले हमें ख़ुद पर इसके परिणामों के बारे में सोच लेना चाहिए और फ़ंडिंग/डोनेशन देनेवालों के साथ अपने रिश्ते में कुछ सीमाएं तय कर लेनी चाहिएं।
- It is important to question the assumptions that we make about intellectual expression and make space for diverse forms of intellectual expressions.
हमें बौद्धिक अभिव्यक्ति को लेकर अपनी धारणाओं पर सवाल उठाने चाहिए और बौद्धिक अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के लिए जगह बनानेवाले माहौल तैयार करने चाहिए।
- Organisations need to consider what kind of support and space is available to bridge gaps and address culture shocks when people from diverse backgrounds are present in the same workspace. This is connected to issues of equity.
संगठनों के लिए ये सोचना ज़रूरी है कि जब एक कार्यस्थल में विविध परिस्थितियों के लोग मौजूद होते हैं तो उनके बीच के फ़ासलों को मिटाने के लिए क्या किया जा सकता है। ये समानता के मुद्दों से जुड़ा है।
- Respecting the intellectual strengths of a community also requires everyone to raise their own level and their own skill to listen and to understand the diversity of thoughts and experiences shared.
किसी समुदाय के बौद्धिक गुणों का सम्मान करने का मतलब ये होता है कि हम सब अपने समझने की क्षमता बढ़ाएं और उनके विविध ख़्यालों और अनुभवों को ठीक से समझ पाएं।
- The appropriation of intellectual property is a key issue with respect to sharing different experiences.
बौद्धिक संपत्ति का विनियोजन (appropriation) विभिन्न अनुभव साझा करने से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है।
- Anti-discrimination and related policies can be defined by people who have experienced the most discrimination. We need to create and make space for such conversations, especially for people who may not have had access to safe, inclusive and self-affirming spaces. What is, then, the responsibility of each person to create SISA spaces?
भेदभाव-विरोधी नीतियों को ठीक से परिभाषित वही लोग कर सकते हैं जो भेदभाव का सामना सबसे ज़्यादा करते हैं। हमें उन लोगों के लिए जगह बनाने की ज़रूरत है जो कभी सुरक्षित, समावेशी, और आत्म-पुष्टि के अनुकूल स्थानों तक नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे स्थान बनाने में हर किसी का क्या योगदान हो सकता है?
- Policy needs practice and intent. For example, foregrounding our policies even in contracts with external parties so that the organisation’s intent and commitment towards upholding these values are clearly conveyed.
नीतियों के गठन के लिए अभ्यास और सही इरादा ज़रूरी हैं। संगठन के बाहर के लोगों के साथ काम करने के दौरान कॉन्ट्रैक्ट पर संगठन की नीतियों का साफ़-साफ़ लिखा होना ज़रूरी है ताकि इन मूल्यों को बरक़रार रखने का हमारा इरादा सभी को पता रहे।
- It is critical that we rethink our approach towards money and resources and that we bring this approach forward to funders and philanthropists. There is a struggle when it comes to money and resources. While there may not be easy answers, organisations need to foreground this issue. However, it is critical how we strategise about the allocation of resources.
पैसों और संसाधनों को लेकर अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है और फ़ंडिंग प्रदान करनेवाले जनहितैषियों के सामने ये नयी सोच रखना भी ज़रूरी है। ये कैसे करना है इसका कोई आसान जवाब नहीं है, फिर भी संगठनों को इसे प्राथमिकता देने की ज़रूरत है और हम संसाधनों का आवंटन कैसे तय करते हैं इस पर सोचने की ज़रूरत है।
- How do we ensure the safety of our teams outside of our organisation and workplace? What are our responsibilities and boundaries beyond what is in the policy?
हम संगठन और कार्यस्थल के बाहर अपनी टीमों की हिफ़ाज़त कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं? संस्थागत नीतियों के बाहर हमारी ज़िम्मेदारियां और सीमाएं क्या होनी चाहिए?
- Courage is important in foregrounding these principles, thoughts and actions.
इन मूल्यों और विचारों की हिफ़ाज़त करने के लिए साहस सबसे ज़रूरी चीज़ है।